Kali Aankhe..
उसकी काली आँखो में है जंतर मंतर सब,
.
चाकू-वाकू, छुरियाँ-वुरियाँ, खंजर-वंजर सब।
.
जिस दिन से तुम रूठी मुझसे, रूठे रूठे से हैं,
.
चदर-वदर, तकिया-वकिया, बिसतर-विस्तर सब।
.
मुझसे बिछड कर वो भी कहाँ अब पहले जैसी है...
.
फिके पड़ गए कपडे-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब..।।
No comments:
Post a Comment